उत्तराखंड सरकार ने कैबिनेट में लिए अहम फैसले, इन योजनाओं को मिलेगा बढ़ावा

कैबिनेट द्वारा लिये गये निर्णय

01-एक जुलाई, 2024 से सम्पूर्ण देश में आईपीसी, सीआरपीसी और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन नये कानून, भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनिमय के साथ ही उत्तराखण्ड में यू.सी.सी. लागू होने के कारण न्यायालयों के कार्यों में बढ़ोतरी होने के दृष्टिगत मा० उच्च न्यायालय उत्तराखण्ड नैनीताल के नियन्त्रणाधीन अधीनस्थ न्यायालयों हेतु आशुलिपिक के 63 पद वेतनमान रू. 29,200-92,300 लेवल-05 में एवं डिपोजिशन राइटर के 74 पद आउटसोर्स के माध्यम से सृजित किये जाने का निर्णय लिया गया है।

02- विभाग का नामः- सैनिक कल्याण विभाग उत्तराखण्ड शासन।
विषयः- उपनल कार्यालय हेतु निःशुल्क भूमि आवंटित किये जाने के सम्बन्ध में।

उत्तराखण्ड के पूर्व सैनिकों, उनके विधिक आश्रितों एवं युवाओं को विदेशों में रोजगार उपलब्ध कराये जाने हेतु उपनल को प्रवासी जनशक्ति भर्ती एजेंसी के संचालन का कार्य सौंपा गया है। प्रवासी जनशक्ति भर्ती एजेंसी के ऑनलाईन संचालन / रजिस्ट्रेशन हेतु उपनल के पास कार्यालय से संबंधित जमीन का स्वामित्व अथवा लीज के दस्तावेज होना आवश्यक है। चूंकि राजस्व विभाग के शासनादेश संख्या-496, दिनांक 28 जुलाई, 2020 में प्राविधानित है कि भारत सरकार के विभागों, भारत सरकार तथा राज्य सरकार के वाणिज्यिक विभागों को आवश्यकतानुसार राजकीय भूमि प्रचलित सर्किल रेट के आधार पर राज्य सरकार की अनुमति से आवंटित की जायेगी तथा राजकीय भूमि के निःशुल्क आवंटन, नजराने में छूट तथा निर्धारित सीमा से अधिक भूमि सःशुल्क अथवा निःशुल्क आवंटन से संबंधित प्रस्ताव मा० मंत्रिमण्डल के विचारार्थ संदर्भित किया जायेगा।

अतः उक्त के दृष्टिगत ही जनपद देहरादून के तहसील सदर के ग्राम ब्राहमण गांव परगना पछुवादून कृषि योग्य बंजर भूमि उपनल कार्यालय हेतु उपनल को 01 रू0 प्रतिवर्ष की दर से 90 वर्षों के लिये लीज पर दिये जाने का जिसका 30-30 वर्ष के अन्तराल पर नवीनीकरण किया जायेगा की मा० मंत्रिमण्डल द्वारा मंजूरी प्रदान की गयी है।

03- विभाग का नाम सूचना प्रौद्योगिकी, सुराज एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग।
विषय अपणि सरकार परियोजना (पोर्टल) के अन्तर्गत निर्गत कम्प्यूटरीकृत प्रमाण-पत्रों एवं अन्य नागरिक सेवाओं के लिये शुल्क निर्धारण, शुल्क विभाजन एवं लिये गये शुल्क का उपयोग किये जाने हेतु मा० मंत्रिमण्डल की स्वीकृति प्राप्त किये जाने के सम्बन्ध में।

ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना के विस्तार होने, मंहगाई दर बढ़ने एवं जिला ई-गवर्नेन्स सोसाइटी पर अतिरिक्त व्यय-भार का कम करने के उद्देश्य से वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन कर e-District Centre तथा CSC के माध्यम से दी जाने वाली सेवा हेतु रूपये 40/- सेवा शुल्क निर्धारित किया गया है तथा इस शुल्क का विभाजन DeGS, ITDA तथा CSC के मध्य निर्धारित प्रतिशत में किया जायेगा। DeGS तथा ITDA के पास प्राप्त अर्जित सेवा शुल्क का व्यय नियत मद में वित्तीय नियमों के आलोक में किया जायेगा।

04- विभाग का नाम ऊर्जा एवं वैकल्पिक ऊर्जा विभाग, उत्तराखण्ड शासन।
विषय- कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 395 (b) के अनुपालन में पावर ट्रांसमिसन कारपोरेशन आफ उत्तराखण्ड लि० के वित्तीय वर्ष 2023-24 के वार्षिक वित्तीय प्रतिवेदन को विधान सभा के पटल पर रखे जाने के सम्बन्ध में ।

उक्त के परिप्रेक्ष्य में ऊर्जा विभाग के नियन्त्रणाधीन पावर ट्रांसमिसन कारपोरेशन आफ उत्तराखण्ड लि० (उत्तराखण्ड सरकार का उपक्रम) के वित्तीय वर्ष 2023-24 के वार्षिक वित्तीय प्रतिवेदन को विधान-मंडल के सदन या दोनों सदनों के समक्ष रखे जाने से पूर्व मा० मंत्रिमण्डल से निर्णय/आदेश प्राप्त किये जाने हैं, जिनके दृष्टिगत यह प्रस्ताव लाया गया है।

05- विषय परिवहन विभागान्तर्गत संरचनात्मक ढांचे में सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी के 10 नये पदो के सृजन के सम्बन्ध में।

उत्तराखण्ड राज्य में परिवहन विभागान्तर्गत परिवहन विभाग के संरचनात्मक ढांचे में परिवहन सेवा संवर्ग में सहायक सम्भागीय परिवहन अधिकारी के पूर्व से कुल 32 पद सृजित्त हैं। उत्तराखंड राज्य में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा विभिन्न स्तर पर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, परन्तु पर्वतीय क्षेत्रों में प्रवर्तन की कार्यवाही को और अधिक सुदृढ़ किए जाने की आवश्यकता प्रतीत हो रही है। वर्तमान में टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली, रूद्रप्रयाग चारधाम यात्रा की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण जनपद हैं जबकि पिथौरागढ़, रानीखेत, रामनगर पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं। इसके अतिरिक्त चंपावत जनपद सीमान्त जनपद है। राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों के अन्तर्गत इन जनपदों का विस्तार अत्यधिक होने के कारण एक ही अधिकारी द्वारा कार्यालय के साथ-साथ सम्पूर्ण जनपद में प्रवर्तन कार्य एंव वाहन दुर्घटना पर प्रभावी रोक लगाये जाने हेतु प्रवर्तन सम्बन्धी कार्यों की महत्ता के दृष्टिगत पर्वतीय जनपदों के 10 कार्यालयों में सहायक सम्भागीय अधिकारी (प्रवर्तन) का 01-01 पद कुल 10 पद सृजित किया जाना प्रस्तावित है।

06- विभाग-गृह (कारागार) विभाग, अनुभाग-02, उत्तराखण्ड शासन ।
विषय- उत्तराखण्ड कारागार मुख्यालय तथा अधीनस्थ कार्यालय वैयक्तिक सहायक / सहायक लेखाकार / वाहन चालक संवर्गीय कर्मचारी सेवा एकीकरण नियमावली. 2024 प्रख्यापित किये जाने के सम्बन्ध में।

07- विभाग का नाम औद्योगिक विकास विभाग।
विषय- पूंजीगत निवेश हेतु वित्त मंत्रालय, भारत सरकार की विशेष सहायता योजना (एस०ए०एस०सी०आई० 2024-25) के अन्तर्गत वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए उत्तराखण्ड सामान्य औद्योगिक विकास नियंत्रण विनियम-2022 में संशोधन के सम्बन्ध में।

राज्यों में पूंजीगत निवेश को प्रोत्साहन प्रदान करने के उद्देश्य से वित्त मंत्रालय, व्यय विभाग, भारत सरकार द्वारा विशेष सहायता योजना Scheme For Special Assistance to States वित Capital Investment (SASCI) 2024-25 भाग- प्रारम्भ की गयी है। योजना के विभिन्न भागों के अन्तर्गत धनराशि प्राप्त करने हेतु वांछित सुधार कर निर्धारित समय-सीमा के अन्तर्गत वित्तीय सहायता हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को प्रेषित किया जाना है। पहाड़ी राज्यों के लिए, सुधारों में से प्रत्येक के लिए 100 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। उक्त वित्तीय प्रोत्साहन हेतु उत्तराखण्ड सामान्य औद्योगिक विकास नियंत्रण विनियम-2022 में 03 सुधार किये जाने हैं।

2- वर्तमान में उत्तराखण्ड सामान्य औद्योगिक विकास नियंत्रण विनियम-2022 प्रख्यापित है, जिसके अनुसार प्रचलित ग्राउंड कवरेज भूखण्ड क्षेत्रफल के अनुसार 55 प्रतिशत से 65 प्रतिशत तक भिन्न होता है, लेकिन उत्तराखण्ड राज्य में उपलब्ध भूमि की कमी के कारण, भूमि का सर्वाेत्तम उपयोग आगामी विकास की आवश्यकता है।

3- भारत सरकार की योजना के कम में वित्तीय सहायता प्राप्त करने हेतु नियोजन विभाग द्वारा प्रदत्त निर्देशानुसार उत्तराखण्ड सामान्य औद्योगिक विकास नियंत्रण विनियम-2022 (सीडा बायेंलाज) में स्टैंड अलोन उद्योगों के लिए ग्राउंड फ्लोर के नुकसान को कम करने के लिए भवन विनियमों में भू-आच्छादन अधिकतम 70 प्रतिशत तक की सीमा तक अनुमन्य करने, सैटबैक एवं पार्किंग मानकों में संशोधन तथा फ्लैटेड फैक्ट्री के विकास को प्रोत्साहित करने हेतु भवन विनियमों में भू-आच्छादन, एफ०ए०आर०, ऊंचाई एवं पार्किंग में संशोधन हेतु मा० मंत्रिमण्डल द्वारा अनुमोदन प्रदान किया गया है।

08- विभाग का नामः- कृषि एवं कृषक कल्याण (उद्यान विभाग)
विषयः- राज्य सेक्टर की मधुमक्खी पालन योजनान्तर्गत देय राज सहायता में वृद्धि किये जाने के सम्बन्ध में।

बागानों में मौनवंश उपलब्ध कराने में मौनपालकों द्वारा पर-परागण हेतु वर्तमान देय राजसहायता की दर पर मौनवंश उपलब्ध कराने में व्यक्त की जा रही असमर्थता के दृष्टिगत कृषकों/मौनपालकों को राज्य में मधुमक्खी पालन हेतु बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से वर्तमान में प्रदान की जा रही राज सहायता रू0 350.00/- प्रति मौनवंश में वृद्धि करते हुए रू0 750.00/- प्रति मौनवंश किया जाना प्रस्तावित है।

09- विभाग का नामः- कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग।
विषयः- सेब की अति सघन बागवानी योजना (राज्य सेक्टर) के सम्बन्ध में।

राज्य में सेब की अति सघन बागवानी योजना को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य तथा सेब बागान संस्थापना हेतु धनराशि की प्रारम्भ में अधिक आवश्यकता होने के दृष्टिगत प्रथम संयुक्त स्थलीय निरीक्षण के उपरान्त 70 प्रतिशत, द्वितीय संयुक्त स्थलीय निरीक्षण उपरान्त 20 प्रतिशत, तथा तृतीय संयुक्त स्थलीय निरीक्षण के उपरान्त बागान संस्थापना एवं फल पौध रोपण सामग्री के अवशेष 10 प्रतिशत का भुगतान किये जाने हेतु शासनादेश में संशोधन प्रस्तावित किया गया है।

10- विभाग का नाम गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग।

विषय- पेराई सत्र 2024-25 हेतु प्रदेश की सहकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की चीनी मिलों को बैंको से ऋण लिये जाने हेतु शासकीय प्रत्याभूति प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में।

राज्य की सहकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की चीनी मिलों को पेराई सत्र में गन्ना किसानों के ससमय गन्ना मूल्य भुगतान हेतु राज्य सरकार द्वारा शासकीय प्रत्याभूति प्रदान की जाती है। अतः किसानों के समयबद्ध गन्ना मूल्य भुगतान हेतु मा० मुख्यमंत्री जी द्वारा दिनांक 31 दिसम्बर, 2024 को विचलन के माध्यम से प्रदत्त अनुमोदन के क्रम में शासनादेश दिनांक 06 जनवरी, 2025 के द्वारा पेराई सत्र 2024-25 हेतु भी राज्य सरकार द्वारा राज्य की सहकारी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की चीनी मिलों डोईवाला, किच्छा, नादेही व बाजपुर हेतु कुल रू० 388.01 करोड़ (रू० तीन सौ अठासी करोड़ एक लाख मात्र) की शासकीय प्रत्याभूति निर्गत की गई। उक्तवत् कार्यवाही से मा० मंत्रिमण्डल अवगत हुआ।

11- लोक निर्माण विभाग
विषय- प्रकरण ब्रिज, रोपवे, टनल एण्ड अदर इन्फास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लि० (ब्रिडकुल) में प्रबन्ध निदेशक एवं मुख्य महाप्रबन्धक (परियोजना) के पद पर शैक्षिक अर्हता/अनुभव एवं आयु सीमा में संशोधन हेतु निगम की सेवा नियमावली, 2008 (समय-समय पर संशोधित) में संशोधन विषयक ।

वर्तमान सेवा नियमावली, 2008 (समय-समय पर संशोधित) के तहत प्रबन्ध निदेशक एवं मुख्य महाप्रबन्धक (परियोजना) के पदों पर ब्रिडकुल के संसाधन / कार्य के दृष्टिगत उक्त पदों के लिए प्रभावी प्रबन्धन के अनुभव की भी महती आवश्यकता है, जिसके दृष्टिगत उक्त नियमावली में शैक्षिक योग्यता/अनुभव एवं आयु सीमा में तद्नुरूप परिर्वतन किया गया है।

12- विभाग का नाम निर्वाचन विभाग, उत्तराखण्ड शासन।
विषय – निर्वाचन विभाग, उत्तराखण्ड के विभागीय ढाँचे को संशोधित/पुनर्गठित किए जाने विषयक।

प्रस्तावित नए संरचनात्मक ढांचे में कुल 387 पद प्रस्तावित किये गये हैं, जिसमें से पदेन-28, नियमित अधिष्ठान 195 तथा वाह्यस्रोत के 164 पद सम्मिलित हैं। पूर्व स्वीकृत विभागीय संरचनात्मक ढांचे के सापेक्ष वर्तमान में प्रस्तावित संशोधित संरचनात्मक ढांचे में कुल 51 पद कम किये गये हैं।

13- विषय- ग्राम पंचायत / ग्राम पंचायतों के कलस्टर स्तर पर वनाग्नि सुरक्षा प्रबन्धन समितियों के गठन के सम्बन्ध में।

उत्तराखण्ड एक वन बाहुल्य राज्य है। वनाग्नि सुरक्षा एक संवेदनशील प्रकरण है, जिसके कारण प्रतिवर्ष वन सम्पत्ति तथा जानमाल की क्षति होती है। विभाग द्वारा यद्यपि ऐसी घटनाओं के रोकथाम हेतु निरंतर प्रयास किया जाता है, लेकिन जन सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु ग्राम पंचायत/ग्राम पंचायत कलस्टर स्तर पर (ग्राम प्रधान / वन पंचायत सरपंच/महिला व युवक मंगल दलो के प्रतिनिधि/वन विभाग / राजस्व विभाग के कार्मिको को सम्मिलित करते हुए) वनाग्नि ग्राम पंचायत स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समितियों का गठन किया जाना आवश्यक है।

वनाग्नि सुरक्षा प्रबन्धन समितियों के चयन/संख्या का निर्धारण Forest Fire Risk Zonation Mapping के आधार पर वनानिग्न हेतु अति संवेदनशील/चीड़ बाहुल्य वन प्रमागों को वर्गीकरण करते हुए किया गया है। इसके अन्तर्गत 22 वन प्रभागों की चिन्हित कर समितियों के गठन की कार्यवाही प्रारम्भ की गयी है। प्रभागों के अन्तर्गत गठित वनाग्नि सुरक्षा प्रबन्धन समितियों को वनाग्नि सत्र के दौरान अस्थाई रूप से क्षेत्र आवंटित कर वनाग्नि नियंत्रण / प्रबन्धन हेतु जिम्मेदारी दी जायेगी।

उक्त के दृष्टिगत वनाग्नि ग्राम पंचायत स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समितियों का गठन एवं वाग्नि के प्रभाव को कम करने के लिए समिति के सफल प्रयासों हेतु उन्हें वन विभाग द्वारा Incentive रूप में प्रति समिति रू० 30000 हजार प्रति वर्ष दिया जायेगा। समितियों को निर्धारित धनराशि में से 50 प्रतिशत की धनराशि वनाग्निकाल के प्रारम्भ में तथा 50 प्रतिशत की धनराशि वनाग्निकाल के उपरान्त समिति के वनाग्नि नियंत्रण कार्यों के अनुश्रवण / मूल्यांकन उपरान्त आवंटित की जायेगी। यदि वनाग्नि सत्र के दौरान उपलब्ध किये गये क्षेत्रों में वनाग्नि घटना होती है तो वनाग्नि से प्रभावित क्षेत्र के आकलन के अनुसार प्रोत्साहन राशि में कटौती की जायेगी। वनाग्निकाल में आवंटित क्षेत्रों के अन्तर्गत वनाग्नि घटना न होने पर समितियों के कुशल प्रशस्ति पत्र/पुरुस्कार भी स्थानीय जन-प्रतिनिधियों के माध्यम से वनाग्नि सत्र के पश्चात प्रदान किया जायेगा। प्रत्येक समिति को औसतन 500-600 है० वन क्षेत्र आवंटित किया जायेगा।

14- विभाग – वित्त विभाग (राज्य कर विभाग)
विषयः- राज्य में नैचुरल गैस (पी०एन०जी० व सी०एन०जी०) पर वर्तमान में लागू 20 प्रतिशत वैट की दर में कमी किये जाने के सम्बन्ध में।

उत्तराखण्ड राज्य में नैचुरल गैस (पी०एन०जी० व सी०एन०जी०) पर वर्तमान में 20 प्रतिशत वैट की दर लागू है, जबकि पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश व हिमाचल प्रदेश में नैचुरल गैस (CNG को छोड़कर) पर वैट की दर क्रमशः 10 प्रतिशत व 4 प्रतिशत है, जबकि सी०एन०जी० पर कर की दर क्रमशः 12.50 प्रतिशत एवं 13.75 प्रतिशत है। राज्य में वैट की दर अधिक होने के फलस्वरूप इकाइयों एवं वाहनों द्वारा समीपवर्ती राज्यों से गैस की खरीद कर प्रयोग की जा रही है। जिससे राज्य को राजस्व की क्षति हो रही है।

राज्य में नैचुरल गैस पर प्राप्त होने वाले राजस्व में वृद्धि, पर्यावरण संवर्द्धन एवं राज्य की विभिन्न औद्योगिक विकास योजनाओं के अन्तर्गत प्रदूषण मुक्त औद्योगिक इकाईयों को स्थापित किये जाने को प्राथमिकता दिये जाने एवं कर संवर्द्धन की सम्भावना के दृष्टिगत् राज्य में पी०एन०जी० पर वैट की वर्तमान दर 20 प्रतिशत से कम करते हुये 5 प्रतिशत तथा सी०एन०जी० पर वर्तमान 20 प्रतिशत वैट की दर को कम करते हुये 10 प्रतिशत किये जाने का प्रस्ताव अनुमन्य किया गया है।

15- विभाग का नाम वित्त विभाग
विषयः राज्य सरकार के सरकारी सेवकों को अनुमन्य अवकाश यात्रा सुविधा में संशोधन किये जाने के सम्बन्ध में।

राज्य सरकार के सरकारी सेवकों को वर्तमान में अनुमन्य अवकाश यात्रा सुविधा के अन्तर्गत रेल की उस श्रेणी में यात्रा सुविधा अनुमन्य है जिसके लिए सरकारी सेवक यात्रा भत्ता नियमों के अधीन दौरे पर यात्रा करने के लिए सामान्यतः अधिकृत है। अवकाश यात्रा सुविधा रेल के अलावा वायुयान या अन्य साधनों से भी की जा सकती है लेकिन सरकारी सेवक की अनुमन्यता की श्रेणी की धनराशि ही यात्रा भत्ता दावों में देय होती है। साथ ही इस सुविधा का उपभोग करने के लिए कर्मचारी द्वारा न्यूनतम 15 दिन का उपार्जित अवकाश का उपभोग करना अनिवार्य है।

बदलते परिदृश्य में कार्मिकों को बेहतर अवकाश यात्रा सुविधा प्रदान किये जाने की आवश्यकता के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि लेवल-10 तथा उससे उच्च वेतन श्रेणी के अधिकारियों को वायुयान से यात्रा की सुविधा उनकी श्रेणी के अनुसार प्रदान की जाय। साथ ही पूर्व में मूल वेतन के आधार पर रेल यात्रा की अनुमन्यता का वर्गीकरण था जिसे सातवें वेतन आयोग के आलोक में धारित पद के वेतन स्तर के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। लेवल-1 से 5 तक के कर्मचारियों को वातानुकूलित तृतीय श्रेणी रेल यात्रा, लेवल-6 से 9 तक के कर्मचारियों को वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी रेल यात्रा तथा लेवल-10 से वातानुकूलित प्रथम श्रेणी रेल यात्रा की सुविधा प्रदान की जायेगी। यात्रा अवकाश सुविधा का उपभोग करने के लिए कर्मचारी द्वारा न्यूनतम 05 दिन अथवा वास्तविक यात्रा अवधि, जो अधिक हो, का उपार्जित अवकाश का उपभोग करना अनिवार्य होगा ।

16- विभाग का नामः- सू०प्रौ०, सुराज एवं वि०प्रौ० अनुभाग-03
विषयः- उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार का अष्टम वार्षिक प्रतिवेदन 2022-23 को विधान सभा पटल पर प्रस्तुत किये जाने के सम्बन्ध में।

17- विभाग का नामः- पर्यटन विभाग, उत्तराखण्ड शासन।

विषय – स्टेट इन्स्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग टेक्नोलॉजी एण्ड एप्लाईड न्यूट्रीशन (नई टिहरी) संस्थान की शैक्षणिक / शिक्षणेत्तर सेवा नियमावली, 2024 का प्रख्यापन।

राज्य में होटल व्यवसाय के क्षेत्र में लगातार हो रहे परिवर्तनों के तहत युवाओं को उच्च कोटि का प्रशिक्षण एवं शिक्षा प्रदान किये जाने एवं रोजगार के अवसर मुहैया कराये जाने के उद्देश्य से भारत सरकार के गजट नोटिफिकेशन दिनांक 01 मार्च, 2019 में उल्लिखित ए०आई०सी०टी०ई० के मानकों के अनुरूप सोसाइटी मोड में संचालित किये जाने हेतु शासनादेश संख्या-1021 दिनांक 28 मई, 2015 एवं शा० संख्या 1405 दिनांक 23 अगस्त, 2016 के आलोक में उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के अधीन स्टेट इन्स्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग टेक्नोलॉजी एण्ड एप्लाईड न्यूट्रीशन (नई टिहरी) के ढांचे का गठन किया गया, जिसमें शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर के सीधी भर्ती के कुल सृजित 37 पदों का सृजन किया गया। उक्त के दृष्टिगत स्टेट इन्स्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग टेक्नोलॉजी एण्ड एप्लाईड न्यूट्रीशन (नई टिहरी) संस्थान की शैक्षणिक / शिक्षणेत्तर सेवा नियमावली, 2024 प्रख्यापित की गयी है।

18- विभाग का नामः पर्यटन अनुभाग, उत्तराखण्ड शासन।
विषयः पर्यटन विभाग के अंतर्गत जनपद पिथौरागढ़ में आदि कैलाश एवं ओम पर्वत दर्शन सेवा पायलट प्रोजेक्ट के तहत शीतकाल में संचालित किये जाने के संबंध में।

उत्तराखण्ड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में रोजगार तथा सामरिक दृष्टिकोण से पर्यटन के विकास एवं शीतकालीन पर्यटन और सीमांत गांवों में पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने हेतु मै० रूद्राक्ष एविएशन प्रा०लि० के माध्यम से माह नवम्बर, 2024 से एम0आई0-17 हैलीकॉप्टर द्वारा 90 दिवसीय शीतकालीन आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा हेतु हैली सेवा संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है।

19- विभाग का नामः- आवास विभाग (अनुभाग-2)
विषयः कृषि उत्पादन मण्डी समिति, रूद्रपुर, जिला उधमसिंहनगर के ग्राम भूरारानी के खसरा सं0-73 रकबा 3.4830 हे०, खसरा सं0-74 रकबा 0.2430 हे0 एवं खसरा सं0-75 रकबा 7.6140 हे०, ग्राम कल्याणपुर खसरा-117/03 मि० रकबा 0.4440 हे० तथा ग्राम मटकोटा खसरा सं0-157 मि० रकबा 8.4589 हे0, कुल रकबा 20.2429 हे० भूमि के भू-उपयोग परिवर्तन के संबंध में।

उत्तराखण्ड मण्डी बोर्ड के पास रूद्रपुर ऊधमसिंहनगर में 20.29 हे0 भूमि है। मण्डी बोर्ड द्वारा उक्त भूमि में कृषि संबंधी उद्योग, किसान बाजार व अन्य किसानों से संबंधित व्यवसायिक उपयोग, जिसके तहत 11 प्रोसेसिंग यूनिट (उद्योग), 150 किसान बाजार की दुकानें, जैविक मार्केट, फ्रूट मार्केट, किसान बाजार के द्वितीय मंजिल में शो-रूम बैंक, कृषकों से संबंधित कॉमर्शियल बिल्डिंग, 300 वाहनों की पार्किंग एवं पेट्रोल पम्प बनाने का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त सिडकुल में कार्य करने वाली बी०पी०एल० धारी Working Women के लिए एक सस्ती दरों पर हॉस्टल भी बनाया जाना है। उक्तानुसार भूमि के व्यवसायिक उपयोग किये जाने से किसानों की आय में वृद्धि की प्रबल संभावनाओं को दृष्टिगत भू-उपयोग कृषि एवं हरित से व्यावसायिक / व्यावसायिक कार्यालय श्रेणी में परिवर्तित किया जाना है। उक्तानुसार भू-उपयोग परिवर्तन हेतु आवेदक संस्था द्वारा प्राधिकरण द्वारा आंकलित शुल्क रू0 6,28,54,205 (छः करोड़ अठ्ठाईस लाख चौवन हजार दो सौ पाँच रूपये मात्र) की धनराशि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण, उधमसिंहनगर के खाते में जमा की जायेगी।

20- विभाग-पेयजल एवं स्वच्छता विभाग।
विषय-उत्तराखण्ड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम की वित्तीय वर्ष 2021-22 के वार्षिक लेखे/प्रतिवेदन (Balance Sheet) को विधान सभा के पटल पर रखे जाने के सम्बन्ध में।
– लोक निर्माण विभाग
विषय- प्रकरण ब्रिज, रोपवे, टनल एण्ड अदर इन्फास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखण्ड लि० (ब्रिडकुल) में प्रबन्ध निदेशक एवं मुख्य महाप्रबन्धक (परियोजना) के पद पर शैक्षिक अर्हता/अनुभव एवं आयु सीमा में संशोधन हेतु निगम की सेवा नियमावली, 2008 (समय-समय पर संशोधित) में संशोधन विषयक ।

वर्तमान सेवा नियमावली, 2008 (समय-समय पर संशोधित) के तहत प्रबन्ध निदेशक एवं मुख्य महाप्रबन्धक (परियोजना) के पदों पर ब्रिडकुल के संसाधन / कार्य के दृष्टिगत उक्त पदों के लिए प्रभावी प्रबन्धन के अनुभव की भी महती आवश्यकता है, जिसके दृष्टिगत उक्त नियमावली में शैक्षिक योग्यता/अनुभव एवं आयु सीमा में तद्नुरूप परिर्वतन किया गया है।

12- विभाग का नाम निर्वाचन विभाग, उत्तराखण्ड शासन।
विषय – निर्वाचन विभाग, उत्तराखण्ड के विभागीय ढाँचे को संशोधित/पुनर्गठित किए जाने विषयक।

प्रस्तावित नए संरचनात्मक ढांचे में कुल 387 पद प्रस्तावित किये गये हैं, जिसमें से पदेन-28, नियमित अधिष्ठान 195 तथा वाह्यस्रोत के 164 पद सम्मिलित हैं। पूर्व स्वीकृत विभागीय संरचनात्मक ढांचे के सापेक्ष वर्तमान में प्रस्तावित संशोधित संरचनात्मक ढांचे में कुल 51 पद कम किये गये हैं।

13- विषय- ग्राम पंचायत / ग्राम पंचायतों के कलस्टर स्तर पर वनाग्नि सुरक्षा प्रबन्धन समितियों के गठन के सम्बन्ध में।

उत्तराखण्ड एक वन बाहुल्य राज्य है। वनाग्नि सुरक्षा एक संवेदनशील प्रकरण है, जिसके कारण प्रतिवर्ष वन सम्पत्ति तथा जानमाल की क्षति होती है। विभाग द्वारा यद्यपि ऐसी घटनाओं के रोकथाम हेतु निरंतर प्रयास किया जाता है, लेकिन जन सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु ग्राम पंचायत/ग्राम पंचायत कलस्टर स्तर पर (ग्राम प्रधान / वन पंचायत सरपंच/महिला व युवक मंगल दलो के प्रतिनिधि/वन विभाग / राजस्व विभाग के कार्मिको को सम्मिलित करते हुए) वनाग्नि ग्राम पंचायत स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समितियों का गठन किया जाना आवश्यक है।

वनाग्नि सुरक्षा प्रबन्धन समितियों के चयन/संख्या का निर्धारण Forest Fire Risk Zonation Mapping के आधार पर वनानिग्न हेतु अति संवेदनशील/चीड़ बाहुल्य वन प्रमागों को वर्गीकरण करते हुए किया गया है। इसके अन्तर्गत 22 वन प्रभागों की चिन्हित कर समितियों के गठन की कार्यवाही प्रारम्भ की गयी है। प्रभागों के अन्तर्गत गठित वनाग्नि सुरक्षा प्रबन्धन समितियों को वनाग्नि सत्र के दौरान अस्थाई रूप से क्षेत्र आवंटित कर वनाग्नि नियंत्रण / प्रबन्धन हेतु जिम्मेदारी दी जायेगी।

उक्त के दृष्टिगत वनाग्नि ग्राम पंचायत स्तरीय वनाग्नि सुरक्षा समितियों का गठन एवं वाग्नि के प्रभाव को कम करने के लिए समिति के सफल प्रयासों हेतु उन्हें वन विभाग द्वारा Incentive रूप में प्रति समिति रू० 30000 हजार प्रति वर्ष दिया जायेगा। समितियों को निर्धारित धनराशि में से 50 प्रतिशत की धनराशि वनाग्निकाल के प्रारम्भ में तथा 50 प्रतिशत की धनराशि वनाग्निकाल के उपरान्त समिति के वनाग्नि नियंत्रण कार्यों के अनुश्रवण / मूल्यांकन उपरान्त आवंटित की जायेगी। यदि वनाग्नि सत्र के दौरान उपलब्ध किये गये क्षेत्रों में वनाग्नि घटना होती है तो वनाग्नि से प्रभावित क्षेत्र के आकलन के अनुसार प्रोत्साहन राशि में कटौती की जायेगी। वनाग्निकाल में आवंटित क्षेत्रों के अन्तर्गत वनाग्नि घटना न होने पर समितियों के कुशल प्रशस्ति पत्र/पुरुस्कार भी स्थानीय जन-प्रतिनिधियों के माध्यम से वनाग्नि सत्र के पश्चात प्रदान किया जायेगा। प्रत्येक समिति को औसतन 500-600 है० वन क्षेत्र आवंटित किया जायेगा।

14- विभाग – वित्त विभाग (राज्य कर विभाग)
विषयः- राज्य में नैचुरल गैस (पी०एन०जी० व सी०एन०जी०) पर वर्तमान में लागू 20 प्रतिशत वैट की दर में कमी किये जाने के सम्बन्ध में।

उत्तराखण्ड राज्य में नैचुरल गैस (पी०एन०जी० व सी०एन०जी०) पर वर्तमान में 20 प्रतिशत वैट की दर लागू है, जबकि पड़ोसी राज्यों उत्तर प्रदेश व हिमाचल प्रदेश में नैचुरल गैस (CNG को छोड़कर) पर वैट की दर क्रमशः 10 प्रतिशत व 4 प्रतिशत है, जबकि सी०एन०जी० पर कर की दर क्रमशः 12.50 प्रतिशत एवं 13.75 प्रतिशत है। राज्य में वैट की दर अधिक होने के फलस्वरूप इकाइयों एवं वाहनों द्वारा समीपवर्ती राज्यों से गैस की खरीद कर प्रयोग की जा रही है। जिससे राज्य को राजस्व की क्षति हो रही है।

राज्य में नैचुरल गैस पर प्राप्त होने वाले राजस्व में वृद्धि, पर्यावरण संवर्द्धन एवं राज्य की विभिन्न औद्योगिक विकास योजनाओं के अन्तर्गत प्रदूषण मुक्त औद्योगिक इकाईयों को स्थापित किये जाने को प्राथमिकता दिये जाने एवं कर संवर्द्धन की सम्भावना के दृष्टिगत् राज्य में पी०एन०जी० पर वैट की वर्तमान दर 20 प्रतिशत से कम करते हुये 5 प्रतिशत तथा सी०एन०जी० पर वर्तमान 20 प्रतिशत वैट की दर को कम करते हुये 10 प्रतिशत किये जाने का प्रस्ताव अनुमन्य किया गया है।

15- विभाग का नाम वित्त विभाग
विषयः राज्य सरकार के सरकारी सेवकों को अनुमन्य अवकाश यात्रा सुविधा में संशोधन किये जाने के सम्बन्ध में।

राज्य सरकार के सरकारी सेवकों को वर्तमान में अनुमन्य अवकाश यात्रा सुविधा के अन्तर्गत रेल की उस श्रेणी में यात्रा सुविधा अनुमन्य है जिसके लिए सरकारी सेवक यात्रा भत्ता नियमों के अधीन दौरे पर यात्रा करने के लिए सामान्यतः अधिकृत है। अवकाश यात्रा सुविधा रेल के अलावा वायुयान या अन्य साधनों से भी की जा सकती है लेकिन सरकारी सेवक की अनुमन्यता की श्रेणी की धनराशि ही यात्रा भत्ता दावों में देय होती है। साथ ही इस सुविधा का उपभोग करने के लिए कर्मचारी द्वारा न्यूनतम 15 दिन का उपार्जित अवकाश का उपभोग करना अनिवार्य है।

बदलते परिदृश्य में कार्मिकों को बेहतर अवकाश यात्रा सुविधा प्रदान किये जाने की आवश्यकता के दृष्टिगत राज्य सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है कि लेवल-10 तथा उससे उच्च वेतन श्रेणी के अधिकारियों को वायुयान से यात्रा की सुविधा उनकी श्रेणी के अनुसार प्रदान की जाय। साथ ही पूर्व में मूल वेतन के आधार पर रेल यात्रा की अनुमन्यता का वर्गीकरण था जिसे सातवें वेतन आयोग के आलोक में धारित पद के वेतन स्तर के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। लेवल-1 से 5 तक के कर्मचारियों को वातानुकूलित तृतीय श्रेणी रेल यात्रा, लेवल-6 से 9 तक के कर्मचारियों को वातानुकूलित द्वितीय श्रेणी रेल यात्रा तथा लेवल-10 से वातानुकूलित प्रथम श्रेणी रेल यात्रा की सुविधा प्रदान की जायेगी। यात्रा अवकाश सुविधा का उपभोग करने के लिए कर्मचारी द्वारा न्यूनतम 05 दिन अथवा वास्तविक यात्रा अवधि, जो अधिक हो, का उपार्जित अवकाश का उपभोग करना अनिवार्य होगा ।

16- विभाग का नामः- सू०प्रौ०, सुराज एवं वि०प्रौ० अनुभाग-03
विषयः- उत्तराखण्ड सेवा का अधिकार का अष्टम वार्षिक प्रतिवेदन 2022-23 को विधान सभा पटल पर प्रस्तुत किये जाने के सम्बन्ध में।

17- विभाग का नामः- पर्यटन विभाग, उत्तराखण्ड शासन।

विषय – स्टेट इन्स्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग टेक्नोलॉजी एण्ड एप्लाईड न्यूट्रीशन (नई टिहरी) संस्थान की शैक्षणिक / शिक्षणेत्तर सेवा नियमावली, 2024 का प्रख्यापन।

राज्य में होटल व्यवसाय के क्षेत्र में लगातार हो रहे परिवर्तनों के तहत युवाओं को उच्च कोटि का प्रशिक्षण एवं शिक्षा प्रदान किये जाने एवं रोजगार के अवसर मुहैया कराये जाने के उद्देश्य से भारत सरकार के गजट नोटिफिकेशन दिनांक 01 मार्च, 2019 में उल्लिखित ए०आई०सी०टी०ई० के मानकों के अनुरूप सोसाइटी मोड में संचालित किये जाने हेतु शासनादेश संख्या-1021 दिनांक 28 मई, 2015 एवं शा० संख्या 1405 दिनांक 23 अगस्त, 2016 के आलोक में उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद के अधीन स्टेट इन्स्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग टेक्नोलॉजी एण्ड एप्लाईड न्यूट्रीशन (नई टिहरी) के ढांचे का गठन किया गया, जिसमें शैक्षणिक एवं शिक्षणेत्तर के सीधी भर्ती के कुल सृजित 37 पदों का सृजन किया गया। उक्त के दृष्टिगत स्टेट इन्स्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग टेक्नोलॉजी एण्ड एप्लाईड न्यूट्रीशन (नई टिहरी) संस्थान की शैक्षणिक / शिक्षणेत्तर सेवा नियमावली, 2024 प्रख्यापित की गयी है।

18- विभाग का नामः पर्यटन अनुभाग, उत्तराखण्ड शासन।
विषयः पर्यटन विभाग के अंतर्गत जनपद पिथौरागढ़ में आदि कैलाश एवं ओम पर्वत दर्शन सेवा पायलट प्रोजेक्ट के तहत शीतकाल में संचालित किये जाने के संबंध में।

उत्तराखण्ड के उच्च हिमालयी क्षेत्र में रोजगार तथा सामरिक दृष्टिकोण से पर्यटन के विकास एवं शीतकालीन पर्यटन और सीमांत गांवों में पर्यटन को बढ़ावा दिये जाने हेतु मै० रूद्राक्ष एविएशन प्रा०लि० के माध्यम से माह नवम्बर, 2024 से एम0आई0-17 हैलीकॉप्टर द्वारा 90 दिवसीय शीतकालीन आदि कैलाश और ओम पर्वत यात्रा हेतु हैली सेवा संचालित किये जाने का निर्णय लिया गया है।

19- विभाग का नामः- आवास विभाग (अनुभाग-2)
विषयः कृषि उत्पादन मण्डी समिति, रूद्रपुर, जिला उधमसिंहनगर के ग्राम भूरारानी के खसरा सं0-73 रकबा 3.4830 हे०, खसरा सं0-74 रकबा 0.2430 हे0 एवं खसरा सं0-75 रकबा 7.6140 हे०, ग्राम कल्याणपुर खसरा-117/03 मि० रकबा 0.4440 हे० तथा ग्राम मटकोटा खसरा सं0-157 मि० रकबा 8.4589 हे0, कुल रकबा 20.2429 हे० भूमि के भू-उपयोग परिवर्तन के संबंध में।

उत्तराखण्ड मण्डी बोर्ड के पास रूद्रपुर ऊधमसिंहनगर में 20.29 हे0 भूमि है। मण्डी बोर्ड द्वारा उक्त भूमि में कृषि संबंधी उद्योग, किसान बाजार व अन्य किसानों से संबंधित व्यवसायिक उपयोग, जिसके तहत 11 प्रोसेसिंग यूनिट (उद्योग), 150 किसान बाजार की दुकानें, जैविक मार्केट, फ्रूट मार्केट, किसान बाजार के द्वितीय मंजिल में शो-रूम बैंक, कृषकों से संबंधित कॉमर्शियल बिल्डिंग, 300 वाहनों की पार्किंग एवं पेट्रोल पम्प बनाने का निर्णय लिया है। इसके अतिरिक्त सिडकुल में कार्य करने वाली बी०पी०एल० धारी Working Women के लिए एक सस्ती दरों पर हॉस्टल भी बनाया जाना है। उक्तानुसार भूमि के व्यवसायिक उपयोग किये जाने से किसानों की आय में वृद्धि की प्रबल संभावनाओं को दृष्टिगत भू-उपयोग कृषि एवं हरित से व्यावसायिक / व्यावसायिक कार्यालय श्रेणी में परिवर्तित किया जाना है। उक्तानुसार भू-उपयोग परिवर्तन हेतु आवेदक संस्था द्वारा प्राधिकरण द्वारा आंकलित शुल्क रू0 6,28,54,205 (छः करोड़ अठ्ठाईस लाख चौवन हजार दो सौ पाँच रूपये मात्र) की धनराशि जिला स्तरीय विकास प्राधिकरण, उधमसिंहनगर के खाते में जमा की जायेगी।

20- विभाग-पेयजल एवं स्वच्छता विभाग।
विषय-उत्तराखण्ड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम की वित्तीय वर्ष 2021-22 के वार्षिक लेखे/प्रतिवेदन (Balance Sheet) को विधान सभा के पटल पर रखे जाने के सम्बन्ध में।

 

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