
राष्ट्रपति यून सुक योल को पद से हटाने का आदेश, मार्शल लॉ लागू करने के मुद्दे पर संवैधानिक अदालत का निर्णय
दक्षिण कोरिया की संवैधानिक अदालत ने महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक योल को पद से हटाने का आदेश दिया है। यून सुक योल पर देश में मार्शल लॉ लागू करने और संसद में सेना भेजने का आरोप है। इसके चलते दक्षिण कोरिया में राजनीतिक उथल-पुथल मच गई थी। मार्शल लॉ लागू करने के चार महीने बाद शुक्रवार को संवैधानिक अदालत ने राष्ट्रपति को पद से हटाने का आदेश दिया।
विपक्ष द्वारा नियंत्रित नेशनल असेंबली ने राष्ट्रपति यून सुक योल के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई की थी। अब उसके तीन महीने बाद संवैधानिक अदालत ने सर्वसम्मति से राष्ट्रपति को पद से हटाने का फैसला दिया है। अब दक्षिण कोरिया को दो महीने के भीतर नए राष्ट्रपति को चुनना होगा और राष्ट्रीय चुनाव कराने होंगे। विभिन्न सर्वेक्षणों से पता चला है कि विपक्षी पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता ली जे म्यांग, देश का अगला राष्ट्रपति बनने की रेस में सबसे आगे हैं। जब संवैधानिक अदालत ने यून सुक योल को राष्ट्रपति पद से हटाने का फैसला सुनाया तो उस वक्त राजधानी सियोल में यून सुक योल के खिलाफ एक रैली आयोजित हो रही थी। जैसे ही अदालत ने यून सुक योल को पद से हटाने का फैसला सुनाया तो रैली में लोग खुशी से झूम उठे और नाचने लगे।
हालांकि बड़ी संख्या में लोग यून सुक योल का समर्थन भी कर रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में योल के समर्थन में रैलियां भी बढ़ सकती हैं। इससे देश में विभाजन बढ़ सकता है। राष्ट्रपति यून सुक योल ने बीते साल 3 दिसंबर को देश में मार्शल लॉ लागू कर दिया था और सैंकड़ों सैनिकों और पुलिस अधिकारियों को नेशनल असेंबली भेज दिया था। यून सुक योल ने तर्क दिया कि उन्होंने सिर्फ सदन में व्यवस्था बनाए रखने के लिए ऐसा किया था, लेकिन जांच के दौरान सैन्य अधिकारियों ने बताया कि यून ने उन्हें विपक्षी सांसदों को सदन से बाहर निकालने का आदेश दिया था ताकि वे यून के आदेश के खिलाफ मतदान न कर सकें। हालांकि विपक्षी सांसद किसी तरह सफल रहे और उन्होंने योल के आदेश के खिलाफ मतदान कर उसे रद्द करा दिया।