प्राथमिक विद्यालयों में अध्यापकों की भर्ती का रास्ता साफ
उच्च न्यायालय ने प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद पर चयनित अभ्यर्थियों का परिणाम जारी करने पर 2019 में लगाई गई रोक को हटा लिया है और परिणाम घोषित करने की स्वीकृति दे दी है। इसके साथ ही नेशनल काउंसिल ऑफ टीचर्स एजुकेशन (एनसीटीई) की गाइडलाइन के तहत एसटीए,एसटी व दिव्यांग अभ्यर्थियों को पांच प्रतिशत छूट देने के सरकार के प्रस्ताव को भी स्वीकृति दे दी है।
उन लोगो के लिए खुशखबरी है जो राज्य में वर्षों से प्राथमिक अध्यापक पद पर नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे । प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर अध्यापकों की नियुक्ति के लिए बीएड सहित स्नातक में 50 प्रतिशत अंकों की बाध्यता को समाप्त करने संबंधी 50 से अधिक याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई के बाद कोर्ट ने आदेश में स्पष्ट किया कि यह छूट उन्हीं अभ्यर्थियों को मिलेगी जिन्होंने स्नातक और बीएड में 45 से 50 प्रतिशत के बीच में अंक अर्जित किए हों।
कोर्ट ने सामान्य अभ्यर्थियों के मामले में एनसीटीई से पूछा था कि उन्होंने कक्षा छह से आठ तक के अध्यापकों की नियुक्ति के लिए तो 50 प्रतिशत की बाध्यता नहीं रखी लेकिन प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति पर यह बाध्यता क्यों रखी। कोर्ट ने इस संबंध में चार सप्ताह के भीतर जवाब देने के निर्देश दिए।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि एनसीटीई ने एससी.एसटी और दिव्यांग वर्ग के अभ्यर्थियों को पांच प्रतिशत की छूट देने के लिए गाइड लाइन जारी की है। इसके आधार पर राज्य सरकार ने उनको छूट देने का निर्णय लिया है जिस पर कोर्ट ने इससे सहमति जताई।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार हाईकोर्ट में इस संबंध में दायर याचिकाओं में कहा गया था कि राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक पद के लिए एनसीटीई व राज्य सरकार ने बीएड और स्नातक में 50 प्रतिशत अंक की बाध्यता रखी है जो सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के आदेशों के विपरीत है फिर भी राज्य सरकार ने मार्च 2019 में सहायक शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में यह नियम लागू किया। पूर्व में हाईकोर्ट ने भी 50 प्रतिशत से कम अंक अर्जित करने वाले लाभार्थियों को परीक्षा में शामिल करने के आदेश दिए थे लेकिन रिजल्ट घोषित करने पर रोक लगाई थी अब यह रोक कोर्ट ने हटा ली है।