
अमेरिका का भारत पर आरोप, चीन से निपटने के लिए मानवाधिकारों की अनदेखी की गई
वाशिंगटन:- अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने आरोप लगाया कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ बुरा व्यवहार किया जा रहा। आयोग ने भारत की जासूसी एजेंसी रॉ पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की। अमेरिकी आयोग ने सिख अलगाववादियों के खिलाफ हत्या की साजिश में खुफिया एजेंसी के शामिल होने का कथित आरोप भी लगाया। आयोग ने भारत को ‘विशेष चिंता वाला देश घोषित’ करने की सिफारिश भी की। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन से निपटने की खातिर अमेरिका ने भारत से घनिष्ठ संबंधों को बनाने की कोशिश की। इस वजह से भारत में मानवाधिकार के मामलों को नजरअंदाज किया गया।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बात की बहुत कम उम्मीद है कि अमेरिका भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R&AW) पर प्रतिबंध लगाएगा। मगर अब सबकी नजरें ट्रंप प्रशासन के फैसले पर टिकीं हैं। दरअसल, आयोग का आदेश मानना सरकार के लिए बाध्यकारी नहीं है। अब देखना यह होगा कि ट्रंप इसे मानते है या नहीं। 2023 में अमेरिका और कनाडा ने खालिस्तान समर्थक को निशाना बनाने का आरोप भारत पर लगाया था। अमेरिका ने आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की साजिश रचने का आरोप एक पूर्व भारतीय अधिकारी विकास यादव पर लगाया था। कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के बयान के बाद भारत के साथ रिश्ते में आई तल्खी अभी तक दूर नहीं हुई है।
मंगलवार को जारी अपनी रिपोर्ट में अमेरिकी आयोग ने कहा कि 2024 में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति और खराब हो गई, क्योंकि धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले और भेदभाव बढ़ा। आयोग ने कथित तौर पर आरोप लगाया, “हिंदू राष्ट्रवादी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी ने पिछले साल चुनाव प्रचार के दौरान “मुसलमानों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ घृणित बयानबाजी की।” हालांकि, भारत ऐसी रिपोर्ट को पक्षपातपूर्ण बताता है। भारत का कहना है कि मोदी सरकार की हर योजना बिना भेदभाव के चल रही है। हर समुदाय को मदद दी जा रही है। आवास, बिजली और सब्सिडी समेत सभी योजनाओं का लाभ हर वर्ग को मिल रहा है।