नकली दवा फैक्ट्री प्रकरण में बड़ा खुलासा, फूड के सेंट्रल लाइसेंस पर बनाई जा रही थी नकली दवाएं
रूड़की में नकली दवा फैक्ट्री मामले में नया खुलासा हुआ है। अब तक यह जानकारी तो सामने आई है कि फूड लाइसेंस लेकर नकली दवाएं बनाई जा रही थी लेकिन अब इस प्रकरण में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि आरोपियों ने फूड का भी सेंट्रल लाइसेंस लिया हुआ था। दरअसल, सेंट्रल लाइसेंस fssai दिल्ली से ही जारी होता है। ऐसे में स्थानीय फूड सेफ्टी अधिकारियों को यह अधिकार नहीं है वे सेंट्रल लाइसेंस वाले प्रतिष्ठानों का निरीक्षण करें। इसी का फायदा अब तक नकली दवा बनाने वाले करते रहे।
आपको बता दें कि इस मामले में जितने भी प्रोडक्ट बनाने की अनुमति ली गयी वे सभी सेंट्रल लाइसेंस में कवर होती थी। fssai द्वारा जारी इस नियम का अंदर खाने राज्य स्तर पर विरोध भी होता रहा है लेकिन इन loop hole का फायदा गलत काम करने वाले उठाते हैं।
गौरतलब है कि ड्रग विभाग की विजिलेंस और एसटीएफ की टीम ने शनिवार को हरिद्वार जिले के भगवानपुर में छापा मारकर नकली दवाएं बनाने की फैक्टरी पकड़ी। यहां हिमाचल की एक कंपनी के नाम पर दवाएं बनाई जा रही थीं। छापे की भनक लगते ही मुख्य आरोपी पत्नी के साथ फरार हो गया। पुलिस ने मौके से दो लोगों को गिरफ्तार किया है।
भगवानपुर के डाडा जलालपुर के एक घर में चल रही फैक्टरी से तीन पेटियों में 3160 नकली दवाएं, नकली रैपर, कच्चा माल और मशीन बरामद की गई थी। एसडीएम वैभव गुप्ता की मौजूदगी में मशीन और फैक्टरी को सील कर दिया गया था। यहां सोलन कोर हेल्थकेयर, हिमाचल के नाम से नकली दवाएं बनाई जा रहीं थी। जब्त की गई लाखों की नकली दवाओं में एंटीबायोटिक और मल्टी विटामिन शामिल हैं।
पुलिस मौके से फरार हुए आरोपी खालिद हुसैन और उसकी पत्नी शमा अंसारी की तलाश में जुट गई है। फैक्टरी से पकड़े गए लोगों की पहचान श्रवण कुमार और रवि मिश्रा निवासी, भगवानपुर के रूप में हुई है। सभी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
जांच में पता चला था कि आरोपी ने फूड लाइसेंस लिया हुआ था लेकिन दवा बनाने का लाइसेंस नहीं था। फूड लाइसेंस 30 नवंबर 2021 को लिया गया था। इसकी आड़ में यहां नकली दवाएं बनाई जा रही थीं। आरोपी के साथ उसकी पत्नी भी इस धंधे में शामिल है। जहां फैक्टरी चल रही थी वह घर आरोपी के ससुर का बताया जा रहा है। अब पता चला है कि ये फ़ूड लाइसेंस भी सेंट्रल कैटेगरी का है।
रुड़की और भगवानपुर क्षेत्र नकली दवाएं बनाने वाले माफियाओं का गढ़ बन गया है। पिछले तीन साल में एक दर्जन से अधिक नकली दवा बनाने वाली फैक्टरियां।